सजने संवरने के शौक ने कैसे बदली आर्थिक तंगी से जूझती हुई प्रियंका की ज़िंदगी?
वो एक कहावत है ना कि कोई भी हुनर, कला व्यर्थ नहीं जाती है। जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तब आपका
हुनर ही आपके काम आता है। कुछ ऐसा ही हुआ शादी के बाद अपने पति के साथ दिल्ली आकर बसी प्रियंका
के साथ। प्रियंका की ज़िंदगी भी एक आम लड़की जैसी ही थी।
उसे बचपन से ही खुद सजने संवरने और दूसरों को सजाने संवारने का शौक था। हालांकि उसने कोई भी मेकअप की ट्रेनिंग नहीं ली हुई थी। प्रियंका की शादी उसके माता पिता ने दिल्ली में ही अच्छी नौकरी करने वाला एक लड़का देखकर कर दी।
शादी के बाद प्रियंका भी दिल्ली में ही आकर बस गई। दिल्ली जैसे महानगर में अपना घर भी एक सपना होता
है। इसीलिए प्रियंका और उसके पति ने भी एक घर खरीद लिया ईएमआई (EMI) पे। उनके शादी के बाद दो
बच्चे भी हो गए। घर गृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी। प्रियंका भी अपने बचपन के मेकअप आर्टिस्ट बनने के
ख़्वाब को भूल चुकी थी और अपने घर परिवार में पूरी तरह रम चुकी थी। मगर कहते हैं ना कि चाहें अच्छा हो
या बुरा, वक़्त कभी एक सा नहीं रहता है। वक्त बदलता रहता है। ये ही प्रियंका के साथ हुआ।
किसी वज़ह से पति की नौकरी चली गई। घर में कोई और कमाने वाला नहीं था तो घोर आर्थिक संकट पैदा हो गया था। घर की ईएमआई, बच्चों के स्कूल की फ़ीस, उनके ट्यूशन की फ़ीस, दूध वाले के पैसे सभी देने थे।
प्रियंका की बचपन की दोस्त ने इस समय में उसका बहुत साथ दिया और उसे सलाह दी कि वो अपने बचपन के मेकअप करने के शौक को ही अपना कैरियर बना ले। प्रियंका को भी ये सलाह सही लगी कि अगर वो ख़ुद कुछ काम करेगी तो अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को भी पूरा कर सकती है, जिससे उसके पति पर नौकरी छूटने के मानसिक दबाव भी कम होगा।
मगर अब वो टाइम नहीं था कि आप बस शौक के साथ ही किसी का भी मेकअप कर दे। आज उपभोक्ता जागरूक है। आपने कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली है या नहीं, अगर ली है तो कहाँ से ली है, ये सब देखकर ही वो आपको काम देते हैं। फिर खोजबीन शुरू हुई कि कहाँ से ट्रेनिंग ली जाए मेकअप की। अधिकतर मेकअप एकेडमियों की फीस एक एक लाख रुपए तक थी और उसमें भी इंटर्नशिप का कोई ऑप्शन नहीं था। प्रियंका ने
दिल्ली और आस पास के एनसीआर क्षेत्र में मेकअप सर्विस देने वाली मेरी बिंदिया कंपनी के बारे में बहुत सुना
था। फिर उसे मालूम पड़ा कि मेरी बिंदिया का ‘Meribindiya Academy के नाम से खुद का मेकअप स्कूल Beauty and Makeup School, भी है जहां पर नए मेकअप आर्टिस्टों को ट्रेनिंग दी जाती थी।
अन्य मेकअप स्कूलों में जहाँ 1 लाख तक फीस थी, वहीं पर Meribindiya Academy की ट्रेनिंग फीस उनके मुकाबले बेहद कम थी।
एक ख़ासियत ये भी थी कि यहाँ पर कम फीस में मेकअप का कोर्स करवाने के साथ ही 2-3 महीने की इंटर्नशिप भी करवाई जा रही थी। प्रियंका ने मेकअप सीखने के लिए वहाँ पर एडमिशन ले लिए और इंटर्नशिप के दौरान एक्सपर्ट्स के साथ हेल्पर के रूप मेकअप के आर्डर में जाने लगी, जिसमें उसे भी मेकअप फाउंडेशन, आई मेकअप जैसे मेकअप का कुछ हिस्सा करने का मौका मिलता था। अगर कुछ गलती भी होती तो वहाँ पर उसे सुधारने के लिए एक्सपर्ट साथ में ही होते थे। साथ ही एक्सपर्ट्स द्वारा आर्डर में से मिले कुछ पैसों द्वारा आर्थिक मदद भी हो जाती थी। इस 2-3 महीने की इंटर्नशिप में ही प्रियंका को काफी अनुभव मिल गया था।
प्रियंका ने इंटर्नशिप पूरी होने के बाद ही एक छोटा सा टेस्ट पास करके मेरी बिंदिया की कंपनी को जॉइन कर लिया। क्योंकि उसका काम बहुत ही अच्छा था, उसे कई मेकअप के आर्डर मिलने लगे। लगभग साल भर के अंदर ही प्रियंका को 7-8 लाख रुपये तक के आर्डर मिलने लग गए थे। उसने घर की ईएमआई फिर से चुकानी शुरु की, बच्चों को अच्छे अंग्रेजी मीडियम वाले स्कूल में दाखिल करवा दिया। दो साल के भीतर ही प्रियंका ने अपने घर की भी पूरी ईएमआई चुका दी।
आज प्रियंका मेरी बिंदिया के एक्सपर्ट मेकअप आर्टिस्टों में शामिल है। वो अपनी इस कामयाबी का श्रेय मेरी बिंदिया की संस्थापक प्रेमलता को देती है, जिन्होंने हर कदम पर उसका हौसला बढ़ाया और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। प्रियंका की कहानी उन सभी घरेलू महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो कुछ करने की चाह रखती है और अपने परिवार की आर्थिक हालात को सुधारना चाहती हैं। अगर आपके अंदर भी कोई हुनर या कला है तो ये समय है अपनी कला को पहचानने का और उसे एक कैरियर के रूप में अपनाने का।
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join Meribindiya Makeup Academy Noida
Admission Open !!
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के साथ। प्रियंका की ज़िंदगी भी एक आम लड़की जैसी ही थी।
उसे बचपन से ही खुद सजने संवरने और दूसरों को सजाने संवारने का शौक था। हालांकि उसने कोई भी मेकअप की ट्रेनिंग नहीं ली हुई थी। प्रियंका की शादी उसके माता पिता ने दिल्ली में ही अच्छी नौकरी करने वाला एक लड़का देखकर कर दी।
शादी के बाद प्रियंका भी दिल्ली में ही आकर बस गई। दिल्ली जैसे महानगर में अपना घर भी एक सपना होता
है। इसीलिए प्रियंका और उसके पति ने भी एक घर खरीद लिया ईएमआई (EMI) पे। उनके शादी के बाद दो
बच्चे भी हो गए। घर गृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी। प्रियंका भी अपने बचपन के मेकअप आर्टिस्ट बनने के
ख़्वाब को भूल चुकी थी और अपने घर परिवार में पूरी तरह रम चुकी थी। मगर कहते हैं ना कि चाहें अच्छा हो
या बुरा, वक़्त कभी एक सा नहीं रहता है। वक्त बदलता रहता है। ये ही प्रियंका के साथ हुआ।
किसी वज़ह से पति की नौकरी चली गई। घर में कोई और कमाने वाला नहीं था तो घोर आर्थिक संकट पैदा हो गया था। घर की ईएमआई, बच्चों के स्कूल की फ़ीस, उनके ट्यूशन की फ़ीस, दूध वाले के पैसे सभी देने थे।
प्रियंका की बचपन की दोस्त ने इस समय में उसका बहुत साथ दिया और उसे सलाह दी कि वो अपने बचपन के मेकअप करने के शौक को ही अपना कैरियर बना ले। प्रियंका को भी ये सलाह सही लगी कि अगर वो ख़ुद कुछ काम करेगी तो अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को भी पूरा कर सकती है, जिससे उसके पति पर नौकरी छूटने के मानसिक दबाव भी कम होगा।
मगर अब वो टाइम नहीं था कि आप बस शौक के साथ ही किसी का भी मेकअप कर दे। आज उपभोक्ता जागरूक है। आपने कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली है या नहीं, अगर ली है तो कहाँ से ली है, ये सब देखकर ही वो आपको काम देते हैं। फिर खोजबीन शुरू हुई कि कहाँ से ट्रेनिंग ली जाए मेकअप की। अधिकतर मेकअप एकेडमियों की फीस एक एक लाख रुपए तक थी और उसमें भी इंटर्नशिप का कोई ऑप्शन नहीं था। प्रियंका ने
दिल्ली और आस पास के एनसीआर क्षेत्र में मेकअप सर्विस देने वाली मेरी बिंदिया कंपनी के बारे में बहुत सुना
था। फिर उसे मालूम पड़ा कि मेरी बिंदिया का ‘Meribindiya Academy के नाम से खुद का मेकअप स्कूल Beauty and Makeup School, भी है जहां पर नए मेकअप आर्टिस्टों को ट्रेनिंग दी जाती थी।
अन्य मेकअप स्कूलों में जहाँ 1 लाख तक फीस थी, वहीं पर Meribindiya Academy की ट्रेनिंग फीस उनके मुकाबले बेहद कम थी।
एक ख़ासियत ये भी थी कि यहाँ पर कम फीस में मेकअप का कोर्स करवाने के साथ ही 2-3 महीने की इंटर्नशिप भी करवाई जा रही थी। प्रियंका ने मेकअप सीखने के लिए वहाँ पर एडमिशन ले लिए और इंटर्नशिप के दौरान एक्सपर्ट्स के साथ हेल्पर के रूप मेकअप के आर्डर में जाने लगी, जिसमें उसे भी मेकअप फाउंडेशन, आई मेकअप जैसे मेकअप का कुछ हिस्सा करने का मौका मिलता था। अगर कुछ गलती भी होती तो वहाँ पर उसे सुधारने के लिए एक्सपर्ट साथ में ही होते थे। साथ ही एक्सपर्ट्स द्वारा आर्डर में से मिले कुछ पैसों द्वारा आर्थिक मदद भी हो जाती थी। इस 2-3 महीने की इंटर्नशिप में ही प्रियंका को काफी अनुभव मिल गया था।
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2nd floor, Veer Singh Palace
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ReplyDeletebest article.
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